Sunday, 20 June 2021

राष्ट्रीय शिक्षा नीति की सफलता पूरी तरह से इसके कार्यान्वयन की गुणवत्ता पर निर्भर करता है I

राष्ट्रीय शिक्षा नीति की सफलता पूरी तरह से इसके कार्यान्वयन की गुणवत्ता पर निर्भर करता है I डॉक्टर अंबेडकर ने संविधान के बारे में बहुत अच्छी बात कही थी “ ———-मुझे लगता है कि यह एक अच्छा संविधान है लेकिन इसका बुरा होना भी निश्चित है अगर वह लोग जो इस पर काम करेंगे वह बहुत बुरे हैं I वहीं पर अगर संविधान बुरा हो लेकिन अगर इस पर काम करने वाले लोग बहुत अच्छे हैं तो यह अच्छा हो सकता है I संविधान का कार्य संविधान की प्रकृति पर पूरी तरह से निर्भर नहीं करता है———“ हालांकि नेशनल एजुकेशन पॉलिसी की तुलना संविधान से नहीं करनी चाहिए लेकिन इस देश के 50% से अधिक लोगों जो 25 साल से कम उम्र के हैं कि जीवन पर इसका प्रभाव असाधारण होगा और इसके लिए अत्यधिक सावधानी और प्रतिबद्धता से लागू करने की जरूरत है I आने वाले वर्षों में जिस परिमाण से बच्चों और युवाओं को उच्च गुणवत्ता की शिक्षा के अवसर उपलब्ध कराए जाएंगे उस हिसाब से भारत और इसके लोगों के भविष्य की दिशा तय होगी I इस देश के भविष्य के लिए शिक्षा प्रणाली के बारे में विचार करते समय तथा वर्तमान शिक्षा प्रणाली की अवस्था को देखते हुए यह बातें हमेशा हमारे दिमाग में थी I चुनौतियां कई है लेकिन निश्चित रूप से इसका सामना करना होगा और इसे सफल बनाना राष्ट्र की क्षमता के अंदर है I

शैक्षिक प्रयासों का समाज पर या समाज का शैक्षिक प्रयासों पर जो असाधारण प्रभाव पड़ता है पर विचार करते हुए यह जरूरी है कि नॉलेज सोसायटी के निर्माण के विभिन्न पहलुओं के लिए समाज की प्रतिक्रिया को हम अनदेखा करें I जिसके लिए इस नीति द्वारा केंद्रीय भूमिका निभाई जाने की उम्मीद है I इसके लिए हमें कई सारी चीजों का ध्यान रखना पड़ेगा जैसी मानसिकता, दृष्टिकोण और संस्कृत के साथ-साथ व्यक्तिगत, संस्थागत प्रणाली गस्त और सामाजिक स्तरहो जैसे कई पहलू I हालांकि आर्थिक और अमली जामा पहनाने के दृष्टिकोण से यह एक चुनौतीपूर्ण प्रस्ताव की तरह लग सकता है I लेकिन जो हमने अभी तक नहीं पहचाना है वह यह है कि इस देश में ऐसी बहुत सारी एजेंसियां और व्यक्ति है जो स्वेच्छा से सहायता प्रदान करने के लिए आगे आएंगे यदि उन्हें आश्वस्त किया जाए कि नॉलेज सोसाइटी के निर्माण एक नैतिक दृष्टिकोण है तथा इसे सत्य निष्ठा और ईमानदारी से किया जा रहा है I

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