Monday, 14 June 2021

प्राणायाम और आसन की उपयोगिता

प्राणायाम दो शब्दों के योग से बना है- (प्राण+आयाम) पहला शब्द "प्राण" है दूसरा "आयाम" इसका शाब्दिक अर्थ है - 'प्राण (श्वसन) को लम्बा करना' या 'प्राण (जीवनीशक्ति) को लम्बा करना

प्राणायाम प्राण अर्थात् साँस आयाम याने दो साँसो मे दूरी बढ़ाना, श्‍वास और नि:श्‍वास की गति को नियंत्रण कर रोकने निकालने की क्रिया को कहा जाता है। श्वास को धीमी गति से गहरी खींचकर रोकना बाहर निकालना प्राणायाम के क्रम में आता है।

प्राणायाम करते समय निम्न बातों का ध्यान रखना चाहिए :- सुखासन, सिद्धासन, पद्मासन, वज्रासन किसी भी आसन में बैठें, मगर जिसमें आप अधिक देर बैठ सकते हैं, उसी आसन में बैठें। प्राणायाम करते समय हमारे हाथों को ज्ञान या किसी अन्य मुद्रा में होनी चाहिए। हर साँस का आना जाना बिलकुल आराम से होना चाहिए। हम आपको आज कपालभाति प्राणायाम और अनुलोम विलोम प्राणायाम के बारे में बताएंगे I 

सबसे पहले कपालभाति प्राणायाम की बात करेंगे I

सुखासन, सिद्धासन, पद्मासन, वज्रासन में बैठें और साँस को बाहर फैंकते समय पेट को अन्दर की तरफ धक्का देना है, इसमें सिर्फ साँस को छोड़ते रहना है। दो साँसों के बीच अपने आप साँस अन्दर चली जायेगी, जान-बूझ कर साँस को अन्दर नहीं लेना है। कपाल कहते है मस्तिष्क के अग्र भाग को, भाती कहते है ज्योति को, कान्ति को, तेज को; कपालभाति प्राणायाम लगातार करने से चहरे का लावण्य बढ़ता है।


कपालभाति प्राणायाम लाभ :

  • बालों की सारी समस्याओँ का समाधान प्राप्त होता है।
  • चेहरे की झुरियाँ, आँखो के नीचे के डार्क सर्कल मिट जायेंगे|
  • आँखों की सभी प्रकार की समस्याऐं मिट जाती है और आँखो की रोशनी लौट आती है।
  • कोलेस्ट्रोल को घटाने में भी सहायक है।
  • शरीर में स्वतः कैल्शियम तैयार होता है।


कपालभाति प्राणायाम के बाद अनुलोम विलोम प्राणायाम अवश्य करें।ऐसा करने से कपालभाति प्राणायाम के लाभ और बढ जाते हैं। अब हम अनुलोम विलोम प्राणायाम की बात करेंगेI सुखासन, सिद्धासन, पद्मासन, या वज्रासन में बैठें। शुरुआत और अन्त हमेशां बाँये नथुने (नोस्टिरल) से ही करनी है, नाक का दाँया नथुना बंद करें बाँये से लंबी साँस लें, फिर बाँये को बंद करके, दाँये वाले से लंबी साँस छोडे़ं...अब दाँये से लंबी साँस लें और बाँयें वाले से छोडे़ं...यानि यह दाँया-दाँया बाँया-बाँया यह क्रम रखना, यह प्रक्रिया १०-१५ मिनट तक दुहराएं| साँस लेते समय अपना ध्यान दोंनों आँखों के बीच में स्थित आज्ञा चक्र पर ध्यान एकत्रित करना चाहिए I

अनुलोम विलोम प्राणायाम लाभ :

  • हाई, लो दोंनों रक्त चाप ठीक हो जायेंगे|
  • कोलेस्ट्रोल , टाँक्सिन्स, आँक्सीडैन्ट्स जैसे विजातीय पदार्थ शरीर के बाहर निकल जाते हैं।
  • किडनी प्राकृतिक रूप से स्वच्छ होती है, डायलेसिस करने की जरुरत नहीं पड़ती|
  • मेमरी बढ़ाने के लिये।
  • सर्दी, खाँसी, नाक, गला ठीक हो जाता है।

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